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एक दिन एक लड़का गौरव के सहर के बाहर एक पंडित आया और उसने ये कहा की मे ये दावा करता हूँ की किसी भी अज्ञानी को अपनी शक्तियों से थोड़ी देर मे ही उसे में महाज्ञानी बना सकता हूँ |
उसके बाद वो किसी भी पुस्तक अथवा साहित्य को बड़ी आसानी से पढ़ और समघ भी सकता है |
गौरव ने यह सुनकर वहा वो दौड़-दौड़कर वंहा फटाफट पहुंच गया फिर पंडित से कहा कि क्या आप मेरे को ज्ञानी बना सकते है | यह बात सुनकर पंडित ने कहा जरूर क्यों नहीं पहले इधर फटाफट आओ | गौरव उसके पास आया |
पंडित ने गौरव के उपर हाथ रखा और कहा की देर बाद कहा की अब जाओ और कुछ भी पढलो |
गौरव अपने सहर वापस लौट गया और एक घंटे बाद वापिस तेजी से आया | पंडित ने कहा क्या हुआ इतनि जल्दी क्यों आ गए और क्या अब तुम भी अब पढ़ सकते हो की नही ?
उधर खड़े लोग भी पूछने लगे तो गौरव ने जवाब मे कहा की “हाँ मे अब पढ़ सकता हूँ पर मैं ये कहने आया हूँ की ये ;पंडित है |
लोगो ने कहा की पंडित ने तुम्हे कुछ ही देर में पढने लायक कर दिया और तुम उनको ही ढोंगी बता रहे हो लगता है तुम अब पागल हो चुके हो तब गौरव ने कहा की मैंने जाते ही सबसे पहले जो किताब पढ़ी उसमे लिखा था की “सारें पंडित ढोंगी और खराब होते है ” इसलिए अब मैं उस पंडित को पकड़ने आया हूँ | सब लोग उसकी बात सुन कर पगला गए |
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