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पंडित के कपड़े
एक गाव मे एक पंडित रहते थे | पंडित बहुत ही ज्यादा गरीब था | गरीब होने की वजह से उन्हे हर दिन भीख मांगनी पड़ती थी | उनके कपड़े काफी फटे पुराने और मेले थे |
जब भी वो भीख मांगने जाते तो लोग उन्हे अक्सर पागल समझ कर भगा देते | इसी कारण से वो काफी दिन भूके पेट ही सो जाते थे |
ऐसे ही एक दिन भीख मांगते हुए एक आदमी को पंडित पे दया आ जाती है और पंडित को नए कपड़े दिलवादेता हैं |
पंडित जी जिस घर से कल भगा दिये गए थे | आज फिर उस घर मे गए |
घरवाले पंडित जी को प्रणाम कहते हैं और अंदर बुलाते हैं | पंडित को आसन पर बिठाते हैं | और खूब सारे पकवान खिलाते हैं | पंडित एक मिठाई लेता हैं ओर अपने कपड़ो पर गिरा देता हैं |
घरवाले पंडित से हैरानी से पूछते हैं की वो ऐसा क्यू कर रहें हैं | तो पंडित जी जवाद देते हैं की " में तो अपने कपड़ो को खाना खिला रहा हु क्योकि कल इस घर से में भागा दिया गया था और आज इन कपड़ो के कारण मुझे पकवान मिल रहें हैं इसलिए पहले इनको भोजन करवा देता हूँ |
घर वाले पंडित की बात सुनकर शरमिंदा हुए |
और फिर उन सबने पंडित के पैर छूकर माफी मांगी अपनी गलती की माफी मांगी |
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