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रामा की चोरी
पंडित तेनाली रामा बहुत चतुर के साथ ईमानदार भी थे | इसलिए महाराज उनपर बहुत भरोसा भी करते थे | इस बात से सभी मंत्री और राजगुरु जलते थे |
तो रामा के सभी शत्रुओ ने राजा को खूब चुगली कर दी | जैसे ही तेनाली रामा दरबार मे आते हैं |
महाराज गुस्से मे बोलते हैं की - " हमे पता चल चला है की आप प्रजा को लूटते हो और चोरी भी करते हो " तेनाली रामा डरके बोलते हैं की - महाराज ये सब असत्य हैं |
महाराज बोलते हैं की अगर ये असत्य तो तुम मुझे सबुत दो की तुम सच बोल रहे हो | तेनाली रामा यह सबसुनकर उधर से चले जाते हैं | बहुत दिन होने के बाद उनको कुछ नही सूझता हैं , तो वह राजा को पत्र देते हैं;
जिसमे लिखा था की -उनकी सच्चाई का सबूत उनकी मौत ही होगी | यह पढ़कर राजा रोने लगता है ओर सभी मंत्रियो ने सोचा कि अब तेनाली जरूर नही आ पाएगा | और सब उसकी तारीफ़ें करने जुट गए |
रामा यह सब छुप कर सुन रहे थे | वो बाहर निकल जाते हैं |
सब लोग सब कुछ अच्छे से समझ जाते है |
और फिर महराज हसने लग जाते हैं |
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