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एक घर मे एक आदमी रेहता था । उसके साथ उसका बेटा उसकी बहू और उसका पोता भी रेहता था ।
उसका बेटा और बहू दोनों उसी घर मे तो रहते थे पर अपने पापा से कुछ ज्यादा मतलब नही रखा करते थे । हाँ , बस इतना जरूर था की घर के सारे लोग रात का खाना साथ मे टेबल पर बेठ कर खाते थे ।
वो आदमी किसी समय पर जवान था पर अब बूढ़ा हो चुका था । चलते वक्त लड़खड़ाने लगा था , उसके हाथो मे भी अब जान नही बची थी । एक दिन रात के खाने के वक्त बेटा और साथ मे पहले बेठ जाते हैं ।
बुड़ा बाप अपनी थाली लेकर आता है पर उससे थोड़ी दाल गिर जाती है । फिर वो खाना खाना शुरू करता हैं ।
हाथो मे जान न होने के कारण कभी थोड़ी दाल इधर गिरती तो कभी उधर ।
बहू घूरते हुये बोलती हैं - छि कितनी गंदी तरीके से खा रहे हो , मन करता है कही और लगवा दो इनकी थाली ।
बेटा अपनी पत्नी की बातो मे हाँ से हाँ मिलता हैं । बूढ़ा बाप अब जमीन मे बेठकर खाना खाने लगा । उसका पोता उससे ध्यान से देख रहा होता हैं तो माँ पूछती हैं - क्या हुआ खाना नही खाना , क्या देख रहे हो दादा जी में ।
पोता कहता मासूमियत से हैं - अरे में देख रहा हु बूढ़े लोगो के साथ केसा रहना चाहिये बाद मे आप भी बूढ़े होगे तो मुझे क्या करना हैं , बस वही देख रहा था ।
शिक्षा - जैसा आप दूसरों के साथ करोगे वेसा ही अपप्के साथ होगा
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