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Hindi Very Short Moral Story | चोर का बेटा | हिन्दी नैतिक कहानियाँ

                                चोर का बेटा 

पीयूष एक बहुत बड़ा चोर था , उसके गाँव मे सब जानते थे की वो सिर्फ चोरी करता था । वो रात के समय बंदूक और चाकू ले कर निकलता और लोगे के घर मे चोरी छुपे चोरी करता । 


पीयूष की पत्नी मर चुकी थी और उसका एक बेटा भी था , जो की अब स्कूल जाने लायक हो गया था । पीयूष को अपने बेटे के भविष्य की चिंता होने लगी इसलिए उसने अपने बेटा का एक अच्छे स्कूल मे एड्मिशन करा दिया । पीयूष का बेटा पड़ने मे काफी अच्छा था पर पेसो की वजह से उसकी पड़ाई 12वी के बाद हो न सकी । उसने अपने लिए जॉब धुंधनी चालू करी पर कोई उसे रखने को तैयार नही था क्योकि एक तो सिर्फ 12वी पास और उपर से एक चोर का बेटा भी । 
अब वो बेरोजगार हो गया था तो उसके पिता पीयूश से सोचा क्यू न उसे भी अपना काम सिखाया जाए इससे वो अपने जीवन के खर्चे तो निकाल ही लेगा । यह सोचकर वो अपने बेटे को रात के समय एक हवेली में ले गया उस हवेली मे चरो तरफ रोशनी ही रोशनी थी , जिससे देख कर लग रहा था की किसी अमीर इंसान की हवेली हैं । 
उसका बेटा उस रोशनी की तरफ देख रहा होता हैं । 
पीयूष - वहा क्या देख रहे हो जल्दी चलो , लगता हैं इस हवेली से खूब माल मिलेगा चलो जल्दी । 
बेटा - पापा मुझे चोरी नही करनी में नही कर सकता , आप उस  उजाले को देख रहे हें , उस आदमी की मेहनत की वजह से उसके घर मे उजाला हैं , और हमारे घर मे पहले भी अंधकार था और अब भी अंधकार हैं । में अपनी मेहनत की कमाई से घर मे उजाला लाना चाहता हूँ ।  

पिता की आंखो मे आँसू आ जाते हें , उसको अपने बेटे की मेहनत सार्थक होते दिख रही थी । पीयूष अब चोरी बंद कर के अखबार बेचने लग जाता हें और उसके बेटे को भी जॉब मिल जाती हें ।

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