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एक शहर में एक समझदार आदमी रहता था , उसके ईमानदारी के चरचे थे । एक बार वह जहाज पर लंबी यात्रा करने निकला । उनके पास जरुरतमन्द पैसे भी थे, ताकि उसे सफर में किसी तरह की परेशानी भी न हो। इसी समय के दौरान उनकी दोस्ती अन्य यात्रियों से हो गई। उसके अच्छे व्यवहार से उसके कुछ दोस्त बन गए।
उन यात्रियों में एक व्यक्ति उसका खास दोस्त बन गया। एक दिन बातों ही बातों में उस समझदार आदमी ने पैसे वाली बाते उसे बता दी। इतने सारे पैसों के बारे में सुनकर उस आदमी मन में लालच आ गया। उसने पैसे हथियाने की योजना बनाई। एक दिन उठकर वो जवान आदमी जोर-जोर से चिल्लाने लगा।
जब जहाज के कर्मचारियों ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि मेरा पैसों से भरा बैग चोरी हो गया है। उसने ठीक वैसे ही बैग के बारे में बताया जैसा उन सज्जन के पास था। जहाज के कर्मचारियों ने कहा कि- हम सभी लोगों की तलाशी लेंगे। जिसने भी चोरी की होगी, वह पकड़ में आ जाएगा।
जब उन सज्जन को ये पता चला तो वे समझ गए कि ये उस आदमी की चाल है। धीरे-धीरे सभी यात्रियों की तलाशी ली जाने लगी। किसी के पास कुछ नहीं निकला। जब उन सज्जन की बारी आई तो सभी लोग कहने लगे- ये तो बहुत अच्छे इंसान है, इनकी तलाशी लेने से कोई फायदा नहीं।
ये बात सुनकर उन सज्जन ने कहा कि- नहीं, जिसका सामान चोरी हुआ है, उसके दिल में शक बना रहेगा, इसलिए मेरे सामान की भी तलाशी ली जाए। उनकी तलाशी लेने पर भी कुछ नहीं निकला। ये देखकर वो जवान आदमी उदास हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो पैसों से भरा बैग कहां गया?
दो दिन बाद उस जवान आदमी ने सज्जन से खुद ही पूछा कि- आपके पास जो पैसों से भरा बैग था, वह कहां गया? उन सज्जन ने मुस्कुरा कर कहा कि- उसे मैंने समुद्र में फेंक दिया। क्योंकि पैसा तो मैं दोबारा कमा लूंगा, लेकिन अगर लोग मुझ पर शक करने लगते तो मेरी ईमानदारी पर सवाल उठने लगते। मैं दौलत तो गंवा सकता हूं, लेकिन ईमानदारी और सच्चाई को खोना नहीं चाहता।
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