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एक सहर में एक ताले की दूकान थी । ताला वाला हर दिन बहुत से ताला और चाबियो बनाया करता रेहता था । इन्को बनाने के लिये व हथौड़े का ईस्त्माल करता था।
हथौड़े लोहा का बना था इसलिए खूब ज्यादा कठोर व शक्तिशाली था । हथौड़े हमेशा देखता रेहता था की चाबियाँ तालो को बड़ी सरलता से खोल देती है ।
पर हथौड़े को उसी ताले को तोड़ने मे बहुत ज्यादा मेहनत लगती थी ।
फिर एक दिवस हथौड़ा ने चाबी से पूछा कि मैं लोहे से बने होने की वजह से बहुत ज्यादा शक्तिशाली हूँ। पर मुझे ताला तोड़ने में बहुत ज्यादा मेहनत और वक्त लगता है ।
तुम मेरे मुक़ाबले बहुत ज्यादा कमज़ोर हो पर फिर भी तुमने बड़ी सरलता से इस शक्तिशाली ताला को कैसे खोल देते हो।
चाबी ने हस्ते हुए कहा की – तुम अपनी ताकत का ईस्तमाल से ताले को तोड़ते हो । परंतु मैं अपने दिल से ताले को अंतर्मन में झांकर ताले से आराम से प्रथना करती हूँ । इसी वजह से ताले सरलता से खुल जाता है ।
सीख : हम अपने बल के सहारे हर काम को नहीं कर सकते , और लोग तुमहरा बल देख कर आपकी इज्जत भी नही करेंगे। बस वो आपसे भयभीत हो सकते हैं |
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